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राम दरबार है जग सारा (Ram Darbar Hai Jag Sara)

राम दरबार है जग सारा,

राम ही तीनो लोक के राजा,

सबके प्रतिपाला सबके आधारा,

राम दरबार हैं जग सारा ॥


राम का भेद ना पाया वेद,

निगमहूँ नेति नेति उच्चारा,

राम दरबार हैं जग सारा।

रमापति राम उमापति शम्भू,

एक दूजे का नाम उर धारा,

राम दरबार हैं जग सारा ॥


तीन लोक में राम का,

सज़ा हुआ दरबार,

जो जहाँ सुमिरे वहीं दरस,

दें उसे राम उदार।

जय जय राम सियाराम,

जय जय राम सियाराम ॥


राम में सर्व राम में सब माही,

रूप विराट राम सम नाहीं,

जितने भी ब्रह्मांड रचे हैं,

सब विराट प्रभु माहि बसें हैं ॥


रूप विराट धरे तो,

चौदह भुवन में नाहीं आते हैं,

सिमटेई तो हनुमान ह्रदय में,

सीता सहित समाते हैं ॥


पतित उधारन दीन बंधु,

पतितो को पार लगातें हैं,

बेर बेर शबरी के हाथों,

बेर प्रेम से खाते हैं ॥


जोग जतन कर जोगी जिनको,

जनम जनम नहीं पाते हैं,

भक्ति के बस में होकर के वे,

बालक भी बन जाते हैं ॥


योगी के चिंतन में राम,

मानव के मंथन में राम,

तन में राम मन में राम,

सृष्टि के कण कण में राम ॥


आती जाती श्वास में राम,

अनुभव में आभास में राम,

नहीं तर्क के पास में राम,

बसतें में विश्वास में राम ॥


राम तो हैं आनंद के सागर,

भर लो जिसकी जितनी गागर,

कीजो क्षमा दोष त्रुटि स्वामी,

राम नमामि नमामि नमामि ॥


अनंता अनंत अभेदा अभेद,

आगम्य गम्य पार को पारा,

राम दरबार है जग सारा,

राम दरबार हैं जग सारा ॥


राधे ब्रज जन मन सुखकारी(Radhe Braj Jan Man Sukhakari)

राधे ब्रज जन मन सुखकारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम

शक्ति दे मां शक्ति दे मां (Shakti De Maa Shakti De Maa)

पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।
शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥

ललिता देवी मंदिर शक्तिपीठ

मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।

शनिवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान शनिदेव से जुड़ा हुआ होता है। इसे "शनिवार व्रत" या "शनि व्रत" के रूप में मनाया जाता है।