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सुन लो चतुर सुजान, निगुरे नहीं रहना - भजन (Sunlo Chatur Sujan Nigure Nahi Rehna)

निगुरे नहीं रहना

सुन लो चतुर सुजान निगुरे नहीं रहना...


निगुरे का नहीं कहीं ठिकाना चौरासी में आना जाना।

पड़े नरक की खान निगुरे नहीं रहना..


गुरु बिन माला क्या सटकावे मनवा चहुँ दिश फिरता जावे।

यम का बने मेहमान निगुरे नहीं रहना..

सुन लो..


हीरा जैसी सुंदर काया हरि भजन बिन जनम गँवाया।

कैसे हो कल्याण निगुरे नहीं रहना..

सुन लो..


निगुरा होता हिय का अंधा खूब करे संसार का धंधा।

क्यों करता अभिमान निगुरे नहीं रहना.

सुन लो..


मेरा भोला है भंडारी (Mera Bhola Hai Bhandari)

सबना दा रखवाला ओ शिवजी डमरूवाला जी
डमरू वाला उपर कैलाश रहंदा भोले नाथ जी

म्हारी झुँझन वाली माँ, पधारो कीर्तन में(Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Me)

म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,

दुर्गा माता कथा

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चौत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है?

यही वो तंत्र है यही वो मंत्र है (Yahi Wo Tantra Hai Yahi Wo Mantra Hai )

बम भोले बम भोले बम बम बम,
यही वो तंत्र है यही वो मंत्र है,