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तेरे दरबार में मैय्या खुशी मिलती है

तेरी छाया मे, तेरे चरणों में,

मगन हो बैठूं, तेरे भक्तों में॥


तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है,

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है,

जिंदगी मिलती है रोतों को हँसी मिलती है।

तेरे दरबार में।


इक अजब सी मस्ती तन मन पे छाती है,

इक अजब सी मस्ती तन मन पे छाती है,

हर इक जुबां तेरे ओ मैया गीत गाती है,

बजते सितारों से मीठी पुकारों से,

बजते सितारों से मीठी पुकारों से,

गूंजे जहाँ सारा तेरे ऊँचे जयकारों से,

मस्ती मे झूमे तेरा दर चूमे,

तेरे चारों तरफ दुनिया ये घूमे,

ऐसी मस्ती भी भला क्या कहीं मिलती है,

ऐसी मस्ती भी भला क्या कहीं मिलती है,

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

जिंदगी मिलती है रोतों को हंसी मिलती है।

तेरे दरबार में 


हो, मेरी शेरों वाली माँ तेरी हर बात अच्छी है,

मेरी शेरों वाली माँ तेरी हर बात अच्छी है,

करनी की पूरी है माता मेरी सच्ची है,

सुख-दुख बँटाती है अपना बनाती है,

सुख-दुख बँटाती है अपना बनाती है,

मुश्किल मे बच्चे को माँ ही काम आती है,

रक्षा करती है भक्त अपने की,

बात सच्ची करती उनके सपनों की,

सारी दुनिया की दौलत यही मिलती है,

जिंदगी मिलती है रोतों को हंसी मिलती है।

तेरे दरबार में


रोता हुआ आये जो हँसता हुआ जाता है,

हो, रोता हुआ आये जो हँसता हुआ जाता है,

मन की मुरादों को वो पाता हुआ जाता है,

किस्मत के माराें को रोगी बीमारों को,

किस्मत के माराें को रोगी बीमारों को,

करदे भला चंगा मेरी माँ अपने दुलारों को,

पाप कट जाये चरण छूने से,

महकती है दुनिया माँ के धूने से,

फिर तो माँ ऐसी कभी क्या कहीं मिलती है,

फिर तो माँ ऐसी कभी क्या कहीं मिलती है,

जिंदगी मिलती है रोतों को हंसी मिलती है।

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

तेरे दरबार मे मैय्या खुशी मिलती है।

फाल्गुन महीना दुर्गा अष्टमी

प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा-भक्ति की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

जयपुर की चुनरिया मैं लाई शेरावालिये (Jaipur Ki Chunariya Me Layi Sherawaliye)

जयपुर की चुनरिया,
मैं लाई शेरावालिये,

जो राम का नहीं, किसी काम का नहीं (Jo Ram Ka Nahi Kisi Kaam Ki Nahi)

वो नमस्ते दुआ और,
सलाम का नहीं,