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वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

ज्ञान रूपे सुधि अनूपे

हे सरस्वती नामिनी !

वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

बसू अधर'मे भाव'घर'मे शुद्ध ह्रदय सँवारि दे

ज्ञान गंगा भरि दिय'

माँ विद्या भरि भरि शारदे

करू इजोरे सभ डगरि मे

घेरि रहलै जामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी


पाणि वीणा पाणि पुस्तक

हंस वाहिनी वागीशे

राग लय सुर निर्झरी बहबू

हे माँ हमरो दिशे

माय देखियौ द्वंद्व एहिमन

करू शमन हरि-वामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी


छल प्रपञ्चसँ दूर रहि रहि

किछु करी जगले सदा

जे देलौं माँ ज्ञान सुधि बुधि

बाँटि दी ओ सर्वदा

फूटय नै शिव के अधर सँ

दोख कुबुद्धि के दामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके (Har Ghadi Yaad Teri Aaye Sautan Banke)

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥

जहाँ राम की चर्चा होती, आता बजरंग बाला (Jahan Ram Ki Charcha Hoti Aata Bajrang Bala)

जहाँ राम की चर्चा होती,
आता बजरंग बाला,

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

श्री खाटु श्याम चालीसा (Shri Khatu Shyam Chalisa)

श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद ।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।