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विंध्याचल की विंध्यवासिनी, नमन करो स्वीकार माँ (Vindhyachal Ki Vindhyavasini Naman Karo Swikar Maa)

विंध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

धुप नारियल फूल चढाने,
धुप नारियल फूल चढाने,
लाए तेरे दरबार माँ,
मैया लाए तेरे दरबार माँ,
विन्ध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल,
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले हो फूलन के हार माँ,
मैया ले हो फूलन के हार माँ,
विन्ध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

लाल चुनर माँ लाल ही चोला,
लाल चुनर माँ लाल ही चोला,
लाए तेरा श्रृंगार माँ,
मैया लाए तेरा श्रृंगार माँ,
विन्ध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

पांच भक्त माई जस तोरे गावे,
पांच भक्त माई जस तोरे गावे,
हो जा दयाल कृपाल माँ,
मैया हो जा दयाल कृपाल माँ,
विन्ध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

विंध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
मेरो नमन करो स्वीकार माँ ॥

मेरी शेरावाली मां, बदलती तकदीरे (Meri Sherawali Maa Badalti Takdire)

कभी जल्दी जल्दी,
कभी धीरे धीरे,

वायुदेव की पूजा विधि क्या है

सनातन धर्म में वायु देवता बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वेदों में इनका कई बार वर्णन मिलता है और इन्हें भीम का पिता और हनुमान के आध्यात्मिक पिता माना जाता है। वायु पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) में से एक है और इसे जीवन का आधार माना जाता है।

फाल्गुन कृष्ण विजया नाम एकादशी व्रत (Phalgun Krishna Vijaya Naam Ekaadashi Vrat)

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।

हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?

हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। इसलिए, श्रीराम की पूजा में भी हनुमान जी का विशेष महत्व है। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी दुःख और कष्ट हर लेते हैं।