श्री रानीसती चालीसा (Sri Rani Sati Chalisa)

रानीसती चालीसा की रचना और महत्त्व


भारत देश महापुरुषों, वीरांगनाओ और गुरुओं का देश है। यहां पर समय-समय पर कई महान हस्तियों ने जन्म लिया और देश में धर्म का मान बढ़ाने का काम किया। उनमें से ही एक वीरांगना है रानी सती दादीजी जो राजस्थान के एक सुंदर से शहर झुंझुनू में विराजित है। जो कि अपनी वीर गाथाओं के कारण प्रसिद्ध है। झुंझुनू शहर में उनका भव्य मंदिर बना हुआ है। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने को आते हैं और मंदिर में पूजा, आरती और चालीसा का पाठ करते है। रानी सती चालीसा एक पवित्र भजन है जो रानी सती दादी जी के दिव्य सार को बताता है। यदि कोई व्यक्ति रोज रानी सती दादीजी के चालीसा का पाठ करता हैं और उनका ध्यान करता है, तो उस पर दादीजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उसके दुख,आपदाओं और विपदाओं का नाश हो जाता है। रानी सती चालीसा पढ़ने के कई फायदे हैं जैसे...


१) शत्रुओं से निपटने की शक्ति विकसित होती है।

२) जीवन में जो भी विपदाएं या संकट आ रहे थे, उन्हें सुलझाने के मार्ग खुल जाते हैं।

३) रानी सती दादी जी की चालीसा के माध्यम से व्यक्ति का मानसिक विकास तेजी से होता है और वह साहसी एवं निडर बनता है।

४) पापों से मुक्ति मिल जाती है।


II दोहा II

श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I 
राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II
काम क्रोध मद लोभ में, भरम रह्यो संसार I 
शरण गहि करूणा मई, सुख सम्पति संसार II

II चौपाई II

नमो: नमो: श्री सती भवानी, जग विख्यात सभी मन मानी I
नमो: नमो: संकट को हरनी, मनवांछित पूरण सब करनी II (१)
नमो: नमो: जय जय जगदंबा, भक्तन काज न होय विलंबा।
नमो: नमो: जय जय जगतारिणी, सेवक जन के काज सुधारिणी II (२)


दिव्य रूप सिर चूनर सोहे, जगमगात कुन्डल मन मोहे I 
मांग सिंदूर सुकाजर टीकी, गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी II (३)
गल वैजंती माला विराजे, सोलहूं साज बदन पे साजे I
धन्य भाग गुरसामलजी को, महम डोकवा जन्म सती को II (४)

तन धनदास पति वर पाये, आनंद मंगल होत सवाये I
जालीराम पुत्र वधु होके, वंश पवित्र किया कुल दोके II (५)
पति देव रण मॉय जुझारे, सति रूप हो शत्रु संहारे I 
पति संग ले सद् गती पाई , सुर मन हर्ष सुमन बरसाई II (६)

धन्य भाग उस राणा जी को, सुफल हुवा कर दरस सती का I
विक्रम तेरह सौ बावन कूं, मंगसिर बदी नोमी मंगल कूं II (७)
नगर झून्झूनू प्रगटी माता, जग विख्यात सुमंगल दाता I
दूर देश के यात्री आवे, धुप दिप नेवैध्य चढावे II (८)

उछाड़ उछाड़ते है आनंद से, पूजा तन मन धन श्रीफल से I 
जात जङूला रात जगावे, बांसल गोत्री सभी मनावे II (९)
पूजन पाठ पठन द्विज करते, वेद ध्वनि मुख से उच्चरते I
नाना भाँति भाँति पकवाना, विप्र जनो को न्यूत जिमाना II (१०)

श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते, सेवक मनवांछित फल पाते I
जय जय कार करे नर नारी, श्री राणी सतीजी की बलिहारी II (११)
द्वार कोट नित नौबत बाजे, होत सिंगार साज अति साजे I
रत्न सिंघासन झलके नीको, पलपल छिनछिन ध्यान सती को II (१२)

भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला, भरता मेला रंग रंगीला I 
भक्त सूजन की सकल भीड़ है, दरशन के हित नही छीड़ है II (१३)
अटल भुवन मे ज्योति तिहारी, तेज पूंज जग मग उजियारी I 
आदि शक्ति मे मिली ज्योति है, देश देश मे भवन भौति है II (१४)

नाना विधी से पूजा करते, निश दिन ध्यान तिहारो धरते I
कष्ट निवारिणी दु:ख नासिनी, करूणामयी झुन्झुनू वासिनी II (15)
प्रथम सती नारायणी नामा, द्वादश और हुई इस धामा I 
तिहूं लोक मे कीरति छाई, राणी सतीजी की फिरी दुहाई II (१६)

सुबह शाम आरती उतारे, नौबत घंटा ध्वनि टंकारे I
राग छत्तीसों बाजा बाजे, तेरहु मंड सुन्दर अति साजे II (१७)
त्राहि त्राहि मैं शरण आपकी, पुरी मन की आस दास की I 
मुझको एक भरोसो तेरो, आन सुधारो मैया कारज मेरो II (१८)

पूजा जप तप नेम न जानू, निर्मल महिमा नित्य बखानू I 
भक्तन की आपत्ति हर लिनी, पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी II (१९)
पढे चालीसा जो शतबारा, होय सिद्ध मन माहि विचारा I 
टाबरिया ली शरण तिहारी, क्षमा करो सब भूल चूक हमारी II (२०)

II दोहा II

दु:ख आपद विपदा हरण, जन जीवन आधार I
बिगड़ी बात सुधारियो, सब अपराध बिसार II

........................................................................................................
सारे जग में विराजे रे, मेरे शिव भोले( Sare Jag Mein Viraje Re Mere Shiv Bhole)

सारे जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले,

कल्कि अवतार की पूजा कैसे करें?

हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु समय-समय पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं। कल्कि, विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं।

हे शेरावाली नजर एक कर दो(Hey Sherawali Nazar Ek Kar Do)

हे शेरावाली नजर एक कर दो
हे मेहरवाली माँ मेहर एक कर दो,

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा(Holi Khel Rahe Banke Bihari Aaj Rang Baras Raha)

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,

यह भी जाने