सज धज बैठ्या दादीजी, लुन राई वारा (Saj Dhaj Baithya Dadi Ji Lunrai Vara)

सज धज बैठ्या दादीजी,

लुन राई वारा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा ॥


निरख निरख श्रृंगार मावड़ी,

मंद मंद मुस्कावे,

मंद मंद मुस्कावे,

कदे चुनड़ी कदे चुड़लो,

मेहंदी निरखती जावे,

मेहंदी निरखती जावे,

दर्शन कर दादीजी का,

वारि वारि जावा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा ॥


नौलख हार गले में चमके,

चुड़लो दम दम दमके,

चुड़लो दम दम दमके,

कमर तागड़ी लड़ली लूमा,

पग पैजनिया खनके,

पग पैजनिया खनके,

‘प्रवीण’ सूरत माँ थारी,

मन में बसावा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा ॥


सज धज बैठ्या दादीजी,

लुन राई वारा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा,

निजरा उतारा माँ की,

निजरा उतारा ॥

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जब जब भी तेरा प्रेमी आंसू कहीं बहाए(Jab Jab Bhi Tera Premi Aansu Kahin Bahaye)

जब जब भी तेरा प्रेमी,
आंसू कहीं बहाए,

जन्मे अवध रघुरइया हो (Janme Awadh Raghuraiya Ho)

जन्मे अवध रघुरइया हो, सब मंगल मनावो
रूप मे अनूप चारो भइया हो,

छोटी होली और बड़ी होली में अंतर

होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रंगों, खुशियों और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।

दुर्गा चालीसा पाठ

धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

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