शेर कैसे बना मां दुर्गा का वाहन

Chaitra Navratri 2025: मां दुर्गा का वाहन कैसे बना शेर, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कहानी


हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिनों को बेहद पवित्र और खास माना जाता है। नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है। चैत्र माह में आने वाली प्रत्यक्ष नवरात्रि बेहद खास होती है, क्योंकि इसी महीने से सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। इतना ही नहीं, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल को समाप्त होगी।

कैसे बना शेर मां का वाहन


नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त पूरी श्रद्धा के साथ आदिशक्ति माता जगदंबा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और व्रत करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा और व्रत करता है, मां दुर्गा उसकी हर संकट की घड़ी में रक्षा करती हैं। भक्त मां दुर्गा को शेरावाली भी कहते हैं, क्योंकि मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेर मां का वाहन कैसे बना?

शेर के मां की सवारी बनने की कथा


हिंदू धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव से अत्यधिक प्रेम करती थीं और उन्हें पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। तप के कारण उनका रंग काला हो गया। एक बार भगवान शिव ने मजाक में कह दिया कि देवी, आप काली हो गई हैं। यह सुनकर माता पार्वती नाराज हो गईं और कैलाश पर्वत छोड़कर चली गईं।

माता पार्वती ने एक बार फिर कठोर तपस्या शुरू की। तपस्या के दौरान एक शेर उनके पास पहुंचा, जो उन्हें शिकार बनाने की नीयत से आया था। लेकिन माता तपस्या में लीन थीं, इसलिए शेर ने सोचा कि जब उनकी तपस्या पूरी होगी, तब वह उन्हें अपना शिकार बना लेगा। माता कई वर्षों तक तपस्या करती रहीं। अंत में भगवान शिव प्रसन्न हुए और माता को गौरी बनने का वरदान दिया। तब से माता को महागौरी के नाम से जाना जाने लगा।

उसी शेर ने भी माता के सान्निध्य में इतने वर्षों तक भूखा-प्यासा तप किया था। माता ने सोचा कि इस शेर को भी तपस्या का फल मिलना चाहिए, इसलिए उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया।

चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व


चैत्र नवरात्रि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थीं और उन्होंने ब्रह्मा जी को सृष्टि रचना का कार्यभार सौंपा था। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। इसी दौरान भगवान विष्णु ने त्रेता युग में भगवान राम के रूप में अवतार भी लिया था।

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चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

जय जय सुरनायक जन सुखदायक (Jai Jai Surnayak Jan Sukhdayak Prantpal Bhagvant)

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
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फरवरी में कब है स्कंद षष्ठी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।

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