महाकाल की शरण मे (Mahakal Ki Sharan Mein)

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण में,

है काल भी तो हारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


हो वक्त चाहे कैसा,

तुम हार नहीं जाना,

उज्जैन जाके दुख तुम,

महाकाल को सुनाना,

झुकता जहान सारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


है मौत शिव की दासी,

भूत प्रेत शिव के चाकर,

चलता समय का पहिया,

आदेश शिव का पाकर,

किस्मत का चमके तारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


शिप्रा के तट पर बैठे,

महाकाल मेरे राजा,

जीवन का सुख मिलेगा,

उज्जैन नगरी आजा,

रोशन शहर है जहां सारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


है रूप जोगी वाला,

उनकी अजब है माया,

भक्तों का साथ शिव ने,

हर युग में है निभाया,

‘मंत्री’ को है सहारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण में,

है काल भी तो हारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥

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मासिक कार्तिगाई पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं।

श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् (Sri Devi Atharvashirsha)

देव्यथर्वशीर्षम् जिसे देवी अथर्वशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है, चण्डी पाठ से पहले पाठ किए जाने वाले छह महत्वपूर्ण स्तोत्र का हिस्सा है।

हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं(Hey Shiv Shambhu Namastubhyam)

हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं,
हे गंगाधर नमस्तुभ्यं,

नामवली: रामायण मनका 108(Namavali: Ramayan Manka 108)

रघुपति राघव राजाराम ।
पतितपावन सीताराम ॥

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