मेहंदीपुर सालासर, धाम दोनों अमर: भजन (Mehandipur Salasar Dham Dono Amar)

मेहंदीपुर सालासर,

धाम दोनों अमर,

नित चमत्कार देखो,

यहाँ हो रहा,

रूप हनुमान के,

देख लो ध्यान से,

जिसने दर्शन किए,

वो सुखी हो गया ॥


यहाँ भैरव पलकार,

प्रेत राज सरकार,

तीनो देवो की गूंजे,

यहाँ जय जयकार,

जो भी अर्जी करे,

विघ्न संकट मिटे,

बिना मांगे ही सब कुछ,

उसे मिल गया,

बिना मांगे ही सब कुछ,

उसे मिल गया ॥


काम बन जाते है,

लोग गुण गाते है,

कोई सवामणि लेकर,

यहाँ आते है,

तीनो देवो को भोग,

जब चढ़ाते है लोग,

राम किरपा से वो,

मालामाल हो गया,

राम किरपा से वो,

मालामाल हो गया ॥


इस पहाड़ी पे है,

अंजनी माँ का द्वार,

मिले पंचमुखी हनुमत,

माँ काली का प्यार,

ये गणेशपूरी दास,

पूरी करे सबकी आस,

जो भी भोग लगाए,

सब काम बन गया,

जो भी भोग लगाए,

सब काम बन गया ॥


मेहंदीपुर सालासर,

धाम दोनों अमर,

नित चमत्कार देखो,

यहाँ हो रहा,

रूप हनुमान के,

देख लो ध्यान से,

जिसने दर्शन किए,

वो सुखी हो गया ॥

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कनकधारा स्तोत्रम् (Kanakdhara Stotram)

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥1॥

षटतिला एकादशी: विष्णु और नारद प्रसंग

हिंदू धर्म में, यूं तो प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पर षटतिला एकादशी उन सब में भी विशेष मानी जाती है। 2025 में, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी को है। इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्त होती है।

भजमन राम चरण सुखदाई (Bhajman Ram Charan Sukhdayi)

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

छोटी होली और बड़ी होली में अंतर

होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रंगों, खुशियों और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।

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