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हिंदू धर्म में मंदिर, घर या किसी भी पवित्र स्थान पर पूजा करते समय सिर को ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि पूजा के दौरान सिर ढकने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महिलाएं आमतौर पर साड़ी का पल्लू या दुपट्टा और पुरुष रूमाल का उपयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा-पाठ करने के दौरान सिर क्यों ढकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब हम पूजा या कोई शुभ कार्य करते हैं, तो अपना सिर ढकना चाहिए। इससे हमारा मन शांत होता है और हम पूजा पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। जब हमारा ध्यान इधर-उधर नहीं भटकता, तो हम ईश्वर से बेहतर तरीके से जुड़ पाते हैं। यह एक ऐसा नियम है, जिसका पालन करने से व्यक्ति को भाग्य का पूरा साथ मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते समय सिर ढकना भगवान के प्रति सम्मान और आदर का प्रतीक है। यह ठीक वैसे ही है जैसे हम बड़े-बुजुर्गों के सामने सिर झुकाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते समय सिर ढकने से हम ईश्वर के अधिक करीब पहुंचते हैं। बालों के रास्ते नकारात्मक ऊर्जा हमारे मन को प्रभावित कर सकती है, लेकिन सिर ढकने से हम इस ऊर्जा से सुरक्षित रहते हैं। इससे मन में सकारात्मक विचार और शांति आती है। धर्मग्रंथों में बताया गया है कि पूजा के समय हमारा शरीर और मन एक विशेष अवस्था में होता है। इस समय हम आध्यात्मिक शक्तियों के संपर्क में आते हैं। लेकिन साथ ही, कुछ नकारात्मक शक्तियां भी हमारी ओर आकर्षित हो सकती हैं।
सिर पर कपड़ा ढकने से हम इन नकारात्मक शक्तियों से अपने आप को बचाते हैं और पूजा के दौरान हमारा ध्यान भंग नहीं होता है। सिर ढकने का एक अन्य कारण यह है कि इससे वातावरण में सकारात्मकता फैलती है। ऐसा माना जाता है कि सिर ढकने से व्यक्ति की मानसिकता बदल जाती है और वह अधिक आस्थावान बन जाता है। इससे व्यक्ति से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है।शास्त्रों के अनुसार, सभी मनुष्य समान हैं। इसलिए पूजा के दौरान स्त्रियों और पुरुषों दोनों को सिर पर वस्त्र धारण करना चाहिए।
सिर के रास्ते कई बीमारियां हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, बालों में रहने वाले कीटाणु हमारे शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं। सिर को ढककर रखने से हम इन कीटाणुओं से सुरक्षित रह सकते हैं।
यज्ञ और हवन करने के दौरान उसमें से निकलने वाली गर्मी से शरीर का तापमान बढ़ सकता है। सिर को ढकने से यह गर्मी सीधे हमारे सिर पर नहीं पड़ती और शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। वहीं पूजा में पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर पूजा के दौरान बाल टूटकर भोजन या पूजा के सामान में गिर जाएं तो इसे अशुभ माना जाता है। इसलिए बालों को ढकने के लिए सिर पर कपड़ा रखा जाता है।
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