आरती पुराण जी की (Aarti Puran Ji Ki)

आरती अतिपावन पुराण की,

धर्म भक्ति विज्ञान खान की,


महापुराण भागवत निर्मल,

शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल,

परमानन्द-सुधा रसमय फल,

लीला रति रस रसनिधान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी,

जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ,

सेवत सतत सकल सुखकारिणी,

महा-औषधि हरि चरित गान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


विषय विलास विमोह विनाशिनी,

विमल विराग विवेक विकासिनी,

भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी,

परम ज्योति परमात्मा ज्ञान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


परमहंस मुनि मन उल्लासिनी,

रसिक ह्रदय रस रास-विलासिनी,

भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी,

कथा अकिंचन-प्रिय सुजान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


बोलिये श्रीभागवत पुराण की जय

........................................................................................................
मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे(Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge)

मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,

घर में आओ लक्ष्मी माता (Mere Ghar Aao Laxmi Maa)

घर में आओ लक्ष्मी माता,
आओ पधारो श्री गणराजा ।

दिखा दे थारी सुरतियाँ(Dikha de Thari Suratiya)

श्याम सलोनो प्यारो म्हारो, मैं लुल लुल जावा
मन को मोर्यो नाचन लाग्यो झूम झूम गावा ,

लाज रखो हे कृष्ण मुरारी (Laaj Rakho Hey Krishna Murari)

लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,
हे गिरधारी हे बनवारी,

संबंधित लेख