दिखा दे थारी सुरतियाँ(Dikha de Thari Suratiya)

श्याम सलोनो प्यारो म्हारो, मैं लुल लुल जावा

मन को मोर्यो नाचन लाग्यो झूम झूम गावा ,

थारो दर्शन पाणे खातिर उड़ गयी आख्या श्यु निंदा

मत तरसावो बाबा श्याम आजा हिंडो हिंडा

दिखा दे थारी सुरतिया दिखा दे थारी सुरतिया



चान्दारुण की दचिण दिशा में बाबा आप बिराजो

उत्तर में शिवनाथ बिराजे शिवालय रे माहि

बिच बाज़ार में गणपति सोहे लडूवन भोग लगावे


फागन रा महिना में बाबा थारे मंदिर आवा

मेवा मिश्री सागे ल्यावा थारे भोग लगावा

भोले शंकर ने ल्यावो तो गांजो भांग मंगावा


लाल गुलाबी गुलाल उड़त है श्याम नगर के माहि

स्वर्ग से सुन्दर लागे म्हाने खाटू नगरी के माहि

रंग रंगीलो फागन आयो भक्ता के मन भायो


यु तो म्हारा खाटू नरेश ने बिगड़ी सब की बनाई

एक सहारा श्याम हमारा सूरत थारी बसाई

वेद व्यास की अर्जी सुन्ल्यो बेडो पार लगाद्यो

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ज्योत से ज्योत जगाते चलो (Jyot Se Jyot Jagate Chalo)

ज्योत से ज्योत जगाते चलो,
ज्योत से ज्योत जगाते चलो

जपूं नारायणी तेरो नाम (Japu Narayani Tero Naam)

जपूँ नारायणी तेरो नाम,
राणीसती माँ झुँझनवाली,

मेरे गणराज आये है (Mere Ganaraj Aaye Hai)

वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्यकोटि समप्रभ:,

क्या है कालाष्टमी कथा

हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।

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