शिव मात पिता, शिव बंधू सखा (Shiv Maat Pita Shiv Bandhu Sakha)

शिव मात पिता,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


जिनका तो ना आदि,

ना अंत पता,

भक्तो पे दया,

जो करते सदा,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


वृषगामी जो,

बाघाम्बर है धरे,

अनादि अनंत से,

जो है परे,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


अमृत को नहीं,

विष पान किया,

अभयदान है,

भक्त जनों को दिया,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


गौरा नंदन,

श्री गणेश कहे,

जलधारा जिनके,

शीश बहे,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


शिव मात पिता,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


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हे रोम रोम मे बसने वाले राम(Hey Rom Rom Main Basne Wale Ram)

हे रोम रोम मे बसने वाले राम
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

श्री बद्रीनाथजी जी की आरती (Shri Badrinath Ji Ki Aarti)

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्,
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्।

काल क्या करेगा महाकाल के आगे (Kaal Kya Karega Mahakal Ke Aage)

कर लूँगा दो-दो बात मैं,
उस काल के आगे,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पर(Gora Dhund Rahi Parvat Pe)

गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,
शिव को पति बनाने को,

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