स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा - भजन (Swagatam Krishna Sharanagatam Krishna)

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा ॥


अभी आता ही होगा सलोना मेरा,

हम राह उसी की तका करते हैं,

कविता-सविता नहीं जानते हैं,

मन में जो आया सो बका करते हैं ॥


पड़ते उनके पद पंकज में,

चलते-चलते जो थका करते हैं,

उनका रस रूप पिया करते हैं,

उनकी छवि-छाक छका करते हैं ॥


अपने प्रभु को हम ढूंढ लियो,

जैसे लाल अमोलख लाखों में,

प्रभु के अंग में जितनी नरमी,

उतनी नर्मी नहीं माखन में ॥


स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा ॥


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कन्हैया ने जब पहली बार बजाई मुरली, सारी सृष्टि में आनंद की लहर दौड़ी

मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।

हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी (He Hans Vahini Gyan Dayini)

हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे

रविदास चालीसा (Ravidas Chalisa)

बन्दौ वीणा पाणि को , देहु आय मोहिं ज्ञान।

अंगना पधारो महारानी: भजन

अरे हों...
अंगना पधारो महारानी,
हे मैय्या अरे अंगना पधारो महारानी, मोरी शारदा भवानी।
अंगना पधारो महारानी, मोरी शारदा भवानी।
रे अंगना पधारो महारानी, मोरी शारदा भवानी।

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