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आनंद ही आनंद बरस रहा (aanand-hi-aanand-baras-raha)

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


धन भाग्य हमारे आज हुए

शुभ दर्शन ऐसे सद्गुरु के ।

पावन कीनी भारत भूमि

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


क्या रूप अनुपम पायो है

जैसे तारो बीच है चंदा ।

सुरत मूरत मोहन वारी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


क्या ज्ञान छटा है जैसे इंद्र घटा

बरसत वाणी अमृतधारा ।

वो मधुरी मधुरी अजब धुनी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


गुरु ज्ञान रूपी जल बरसाकर

गुरु धर्म बगीचा लगा दिया ।

गुरु नाम रूपी जल बरसाकर

गुरु प्रेम बगीचा लगा दिया ।

खिल रही है कैसी फुलवारी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


पाया पाया पाया,

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।

मेरे रघुवर कीपा किन्हीं

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।


पाया पाया पाया,

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।

मेरे रघुवर कीपा किन्हीं

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।


वैकुंठ चतुर्दशी की कथा

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।

रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

एक समय महाराज युधिष्ठिर ने कहा- “हे जनार्दन मुझपर कृपा करके बताइये कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा “हे राजन् ! कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है वह 'रमा' के नाम से जानी जाती है।

श्रीकृष्ण के 108 नामों की जाप

प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है।

हनुमान तेरी कृपा का भंडारा चल रहा है (Hanuman Teri Kirpa Ka Bhandara Chal Raha Hai)

हनुमान तेरी कृपा का भंडारा चल रहा है,
हर और घना अँधेरा मेरा दीप जल रहा है,