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भोले डमरू वाले तेरा, सच्चा दरबार है (Bhole Damru Wale Tera Saccha Darbar Hai)

भोले डमरू वाले तेरा,

सच्चा दरबार है,

तेरी जय जयकार भोले,

तेरी जय जयकार है ॥


भक्तों के खातिर,

कलयुग में आए,

महिमा इनकी,

सब देव गाए,

अपने भगत के लिए,

करते चमत्कार है,

तेरी जय जयकार भोले,

तेरी जय जयकार है ॥


आवाज जिसने,

दिल से लगाई,

बिगड़ी हुई को,

पल में बनाई,

दीन और दुखी के लिए,

हरदम तैयार है,

तेरी जय जयकार भोले,

तेरी जय जयकार है ॥


दरबार तेरा,

सबसे निराला,

कलयुग में तेरा,

है बोल बाला,

‘बनवारी’ चरणो में,

करता नमस्कार है,

तेरी जय जयकार भोले,

तेरी जय जयकार है ॥


भोले डमरू वाले तेरा,

सच्चा दरबार है,

तेरी जय जयकार भोले,

तेरी जय जयकार है ॥


क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया (Baba Baijnath Hum Aael Chhi Bhikhariya)

बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया,
अहाँ के दुअरिया ना,

उलझ मत दिल बहारो में (Ulajh Mat Dil Baharo Men)

उलझ मत दिल बहारो में,
बहारो का भरोसा क्या,

त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

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