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भक्तों के घर कभी, आजा शेरावाली (Bhakton Ke Ghar Kabhi Aaja Sherawali)

भक्तों के घर कभी,

आजा शेरावाली,

कुटिया का मान,

बढ़ा जा शेरावाली,

भक्तो के घर कभी,

आजा शेरावाली ॥


पलकों के आसन पे,

तुझको बिठाएंगे,

हलवा पूड़ी का मैया,

भोग लगाएंगे,

भाव का ये भोग,

लगा जा शेरावाली,

भक्तो के घर कभी,

आजा शेरावाली ॥


इन अखियों को बस,

मैया तेरी आस है,

आएगी जरूर माता,

रानी विश्वास है,

भक्तो की आस,

पूरा जा शेरावाली,

भक्तो के घर कभी,

आजा शेरावाली ॥


आजा आजा मैया,

तेरा लाड लड़ाएंगे,

‘सौरभ मधुकर’ संग,

भजन सुनाएंगे,

रिश्ता ये प्रेम का,

निभा जा शेरावाली,

भक्तो के घर कभी,

आजा शेरावाली ॥


भक्तों के घर कभी,

आजा शेरावाली,

कुटिया का मान,

बढ़ा जा शेरावाली,

भक्तो के घर कभी,

आजा शेरावाली ॥

नमामि श्री गणराज दयाल(Namami Shri Ganraj Dayal)

नमामि श्री गणराज दयाल,
करत हो भक्तन का प्रतिपाल,

कान्हा तेरी मुरली की, जो धुन बज जाए (Kanha Teri Murli Ki Jo Dhun Baj Jaaye)

कान्हा तेरी मुरली की,
जो धुन बज जाए,

अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।

मां अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna Chalisa)

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

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