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शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी (Sherawali Ki Nazar Jispe Padne Lagi)

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


माँ के पावन नवराते आ गए,

घर घर में जगराते होने लगे,

जिस घर अंगना माँ की पावन,

ज्योति जगी, हाँ ये ज्योति जगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


आजा बनके सवाली माँ के द्वार पे,

तेरा जीवन संवर जाए माँ के नाम से,

जो भी दर आया गया नहीं,

खाली कभी, खाली कभी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


ज्वाला माँ तेरे सब दुःख हरेगी,

चिंतपूर्णी माँ तेरी सारी चिंता हरे,

सच्चे मन से कर ले जो,

मैया की भक्ति, माँ की भक्ति,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


अष्टमी का देखो वो दिन आ गया,

कंजको का बुलावा लगने लगा,

हलवा पूरी का भोग लगाओ,

करो आरती, करो आरती,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


ब्रज की होली

होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

श्री सूर्य देव चालीसा (Shri Surya Dev Chalisa)

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

रथ सप्तमी व्रत के शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

हनुमान तेरी कृपा का भंडारा चल रहा है (Hanuman Teri Kirpa Ka Bhandara Chal Raha Hai)

हनुमान तेरी कृपा का भंडारा चल रहा है,
हर और घना अँधेरा मेरा दीप जल रहा है,

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