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गणपति पधारो ताता थैया करते (Ganpati Padharo Ta Ta Thaiya Karte)

गणपति पधारो ताता थैया करते,

ताता थैया करते,

ठुमक ठुमक पग धरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते,

आप के पधारने से बिगड़े काम संवरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते ॥


केवड़ा गुलाब जल से,

खूब धोया आंगणा,

चन्दन की चौकी ऊपर,

मखमल का बिछोना,

पार्वती लाला आकर,

आसन लगाइये,

रिद्धि और सिद्धि को भी,

संग लेकर आइये,

होके प्रसन्न विध्न,

आप ही तो हरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते ॥


मोरेया रे बप्पा मोरेया र ॥

मोरेया रे बप्पा मोरेया रे ॥


वक्रतुण्ड है गजाननन है,

शिव के दुलारे लाल,

शीश पे सुन्दर मुकुट विराजे,

गल मोतियन की माल,

एक दन्त चार भुज है,

केसर तिलक है ढाल,

मूसे की सवारी,

वेश अद्भुत है विशाल,

दयावान हाथो से तेरे,

माणक मोती झरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते ॥


मोरेया रे बप्पा मोरेया रे ॥

मोरेया रे बप्पा मोरेया रे ॥


आओ गणराज कहाँ,

सूरत छिपा ली है,

पान पुष्प मेवा लाये,

लडुवन की थाली है,

भक्तो की विनती प्रभु,

कभी नहीं टाली है,

कमल सरल ने प्रीत,

आपसे लगा ली है,

अन्न धन के भंडार हो देवा,

लख्खा के हो भरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते ॥


गणपति पधारो ताता थैया करते,

ताता थैया करते,

ठुमक ठुमक पग धरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते,

आप के पधारने से बिगड़े काम संवरते,

गणपति पधारो ताता थैया करते ॥

जय बजरंगी बोले, वो कभी ना डोले (Jay Bajrangi Bole Vo Kabhi Na Dole)

बोले बोले रे जयकारा,
जो बाबा का बोले,

बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)

बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,

शबरी जयंती क्यों मनाई जाती है?

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।

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यशोदा जायो ललना,
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