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जय जय गौरी ललन (Jai Jai Gouri Lalan )

जय जय गौरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन,

गौरी नंदन तुम्हे घर में लाएंगे हम,

देवा मंदिर तुम्हारा सजाएंगे हम ॥


बेला चंपा चमेली गुलाब लिया,

चाँद तारों से आसन है तेरा सजा,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


तेरी राहों में पलके बिछाएंगे हम,

दीप श्रद्धा का मन से जलाएंगे हम,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


छोटे मूसे पे चढ़कर के आना प्रभु,

अपने भक्तो को दर्शन दिखाना प्रभु,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


मैया गौरा के साथ आना प्रभु,

संग शिव भोलेनाथ को लाना प्रभु,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


रिद्धि सिद्धि भी संग में आएगी जो,

जन्मो जन्मो के भाग्य जगाएंगी वो,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


शिव गणो संग आरती गाऊंगा मैं,

तुम्हे मोदक का भोग लगाऊंगा मैं,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


भक्त आकर के दर पे जयकार करे,

तेरे दर्शन पे भक्त बलिहार रहे,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


तेरे गुण बप्पा ह्रदय से गाऊंगा मैं,

तुम्हे चन्दन का तिलक लगाऊंगा मैं,

जय जय गोरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन ॥


जय जय गौरी ललन,

जय जय हो गजवदन,

एकदन्ता तेरा गा रहे है भजन,

गौरी नंदन तुम्हे घर में लाएंगे हम,

देवा मंदिर तुम्हारा सजाएंगे हम ॥


दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।

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