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मेरे मन में बसे है राम, मेरे तन में बसे है राम (Mere Maan Mein Base Hai Ram Mere Tan Mein Base Hai Ram)

छाती चिर के हनुमान ने,

बता दिए श्री राम,

मेरे मन में बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


जिस वस्तु में राम नहीं,

वह वस्तु ना आए काम,

जिस वस्तु में राम नहीं,

वह वस्तु ना आए काम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


राम काज किए बिना,

मोहे कहाँ विश्राम,

राम काज किए बिना,

मोहे कहाँ विश्राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


राम नाम सुमिरण से,

समुन्दर पार गए हनुमान,

राम नाम सुमिरण से,

समुन्दर पार गए हनुमान,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


छाती चिर के हनुमान ने,

बता दिए श्री राम,

मेरे मन में बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥

राजीव लोचन राम, आज अपने घर आए (Rajiv Lochan Ram Aaj Apne Ghar Aaye)

राजीव लोचन राम,
आज अपने घर आए,

लचकि लचकि आवत मोहन (Lachaki Lachaki Awat Mohan)

लचकि लचकि आवत मोहन,
आवे मन भावे

चलो मन वृन्दावन की ओर (Chalo Mann Vrindavan Ki Aur)

चलो मन वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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