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प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो (Prabhuji More Avgun Chit Naa Dharo)

प्रभुजी मोरे/मेरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक लोहा पूजा मे राखत,

एक घर बधिक परो ।

सो दुविधा पारस नहीं देखत,

कंचन करत खरो ॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक नदिया एक नाल कहावत,

मैलो नीर भरो ।

जब मिलिके दोऊ एक बरन भये,

सुरसरी नाम परो॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक माया एक ब्रह्म कहावत,

सुर श्याम झगरो ।

अब की बेर मुझे पार उतारो,

नही पन जात तरो ॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।

वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी
हे सुबुद्धि सुकामिनी

मकर संक्रांति पर अद्भुत संयोग

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का समापन होता है। जो इसे और भी शुभ बनाता है। इस दिन मांगलिक कार्य, निवेश और खरीदारी के लिए समय अनुकूल है।

तेरे दर जबसे ओ भोले, आना जाना हो गया(Tere Dar Jab Se O Bhole Aana Jana Ho Gaya)

तेरे दर जबसे ओ भोले,
आना जाना हो गया,

इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाये(Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)

इस योग्य हम कहाँ हैं
इस योग्य हम कहाँ हैं,

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