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प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो (Prabhuji More Avgun Chit Naa Dharo)

प्रभुजी मोरे/मेरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक लोहा पूजा मे राखत,

एक घर बधिक परो ।

सो दुविधा पारस नहीं देखत,

कंचन करत खरो ॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक नदिया एक नाल कहावत,

मैलो नीर भरो ।

जब मिलिके दोऊ एक बरन भये,

सुरसरी नाम परो॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।


एक माया एक ब्रह्म कहावत,

सुर श्याम झगरो ।

अब की बेर मुझे पार उतारो,

नही पन जात तरो ॥

प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..


प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,

समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,

चाहो तो पार करो ।

तेरी सूरत पे जाऊं बलिहार रसिया(Teri Surat Pe Jaun Balihari Rasiya)

तेरी सूरत पे जाऊं बलिहार रसिया
मैं तो नाचूंगी तेरे दरवार रसिया ॥

हे शेरावाली नजर एक कर दो(Hey Sherawali Nazar Ek Kar Do)

हे शेरावाली नजर एक कर दो
हे मेहरवाली माँ मेहर एक कर दो,

गुड़ी पड़वा 2025 कब है

सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।

चदरिया झीनी रे झीनी - भजन (Chadariya Jhini Re Jhini)

कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे हम रोये,

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