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सदाशिव सर्व वरदाता, दिगम्बर हो तो ऐसा हो (Sada Shiv Sarva Var Data Digamber Ho To Aisa Ho)

सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।

हरे सब दुःख भक्तों के,

दयाकर हो तो ऐसा हो ॥


शिखर कैलाश के ऊपर,

कल्पतरुओं की छाया में ।

रमे नित संग गिरिजा के,

रमणधर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।


शीश पर गंग की धारा,

सुहाए भाल पर लोचन ।

कला मस्तक पे चन्दा की,

मनोहर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।


भयंकर जहर जब निकला,

क्षीरसागर के मंथन से ।

रखा सब कण्ठ में पीकर,

कि विषधर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।


सिरों को काटकर अपने,

किया जब होम रावण ने ।

दिया सब राज दुनियाँ का,

दिलावर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।


बनाए बीच सागर के,

तीन पुर दैत्य सेना ने ।

उड़ाए एक ही शर से,

त्रिपुरहर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।


देवगण दैत्य नर सारे,

जपें नित नाम शंकर जो,

वो ब्रह्मानन्द दुनियाँ में,

उजागर हो तो ऐसा हो ॥


सदाशिव सर्व वरदाता,

दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।

हरे सब दुःख भक्तों के,

दयाकर हो तो ऐसा हो ॥


मेरे सरकार का, दीदार बड़ा प्यारा है(Mere Sarkar Ka Didar Bada Pyara Hai)

मेरे सरकार का,
दीदार बड़ा प्यारा है ।

कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,
शिवनाथ के लिए,

चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट (Chitrakoot Ke Ghat Ghat Par Shabri Dekhe Baat)

चित्रकूट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,

षटतिला एकादशी व्रत कथा

सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की एकादशी तिथि को ही षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है।