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षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम्।
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।
श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम्।
पवित्ररुपां परमां देवसेनां परां भजे।।
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो,
आता रहा है सांवरा, आता ही रहेगा,
मेरा तो बस एक सहारा, राम ए माँ,
हे शिव शंकर भोले बाबा, मैं तेरे गुण गाऊं,