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घुमतड़ा घर आवो, ओ म्हारा प्यारा गजानन (Ghumta Ghar Aao Mhara Pyara Gajanan)

घुमतड़ा घर आवो,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

खेलतड़ा घर आवो,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


ब्रम्हा पधारो विष्णु पधारो देवा,

संग में ले आना सरस्वती को,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


राम पधारो लक्ष्मण पधारो देवा,

संग में ले आना सीता सती को,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


डमरू बजावत शिव जी पधारो देवा,

संग में ले आना पारवती को,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


सिंह चढ़त माँ आवो भवानी,

संग में ले आना नव दुर्गा को,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


मुरली बजावत कृष्ण पधारो देवा,

संग में ले आना राधा रुक्मण को,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


बाई मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,

देना हमको प्रेम भक्ति हो,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

घुमतड़ा घर आवों,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥


घुमतड़ा घर आवो,

ओ म्हारा प्यारा गजानन,

खेलतड़ा घर आवो,

ओ म्हारा प्यारा गजानन ॥

इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे(Itni Vinti Hai Tumse Hai Bhole Mere)

इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे,
थाम के हाथ अब ना छुड़ा लेना तुम,

ओ पवन पुत्र हनुमान राम के, परम भक्त कहलाए (O Pawan Putra Hanuman Ram Ke Param Bhakt Kahlaye)

ओ पवन पुत्र हनुमान राम के,
परम भक्त कहलाए,

शंभू ये तेरी माया, कहीं है धूप कहीं है छाया(Shambhu Ye Teri M aya Kahin Hai Dhup Kahin Hai Chaya)

शंभू ये तेरी माया,
कहीं है धूप कहीं है छाया,

श्री शनिवार व्रत कथा

एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।

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