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कबहुँ ना छूटी छठि मइया (Kabahun Na Chhooti Chhath)

कबहुँ ना छूटी छठि मइया,

हमनी से बरत तोहार

हमनी से बरत तोहार


तहरे भरोसा हमनी के,

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार


अपने सरन में ही रखिह,

दिह आसिस हज़ार

दिह आसिस हज़ार


गोदिया भराईल छठी मइय्या,

बाटे राऊर किरपा अपार

बाटे राऊर किरपा अपार


चाहें रहब देसवा बिदेसवा,

छठ करब हम हर बार

छठ करब हम हर बार


डूबतो सुरुज के जे पूजे,

इहे बाटे हमर बिहार

इहे बाटे हमर बिहार


फलवा दउरवा सजाके,

अईनी हम घाट पे तोहार

अईनी हम घाट पे तोहार


दिहनी अरघ छठी मईया,

करीं हमर आरती स्वीकार

करीं हमर आरती स्वीकार


कबहुँ ना छूटी छठि मइया,

हमनी से बरत तोहार

हमनी से बरत तोहार


तहरे भरोसा हमनी के,

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

Sanwali Surat Pe Mohan Dil Diwana Ho Gaya (सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया)

सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

मार्च में 7 तारीख के बाद नहींं होंगे मांगलिक कार्य

होलिका दहन से पहले 8 दिन होलाष्टक तिथि लगती है जिसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यह समय भक्त प्रह्लाद पर किए गए अत्याचारों को दर्शाता है।

मकर संक्रांति पर विशेष उपाय

2025 में, मकर संक्रांति 14 जनवरी को है। इस त्योहार को देश के सभी लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।