जयपुर से लाई मैं तो,
चुनरी रंगवाई के,
पाण्डुनन्दन भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़ कर नम्रता पूर्वक बोले हे नाथ ! अब आप कृपा कर मुझसे माघ शुक्ल एकादशी का वर्णन कीजिए उस व्रत को करने से क्या पुण्य फल होता है।
घर में पधारो गजाननजी,
मेरे घर में पधारो
सुनो सुनो हनुमान जी,
एक जरुरी काम जी,