भगवान शिव का बेलपत्र, धतूरा और भांग से संंबंध

MahaShivratri 2025 भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और भांग क्यों चढ़ाई जाती है, जानें वजह 



भगवान शिव को देवा का देव कहा जाता है। शिवरात्रि उनका एक प्रमुख त्योहार है। 26 फरवरी को इस बार शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इन्हें चढ़ाते है। लेकिन ज्यादातर लोग इन्हें चढ़ाने के पीछे की वजह को नहीं जानते हैं।   माना जाता है कि यह तीनों चीजें भगवान शिव की प्रिय हैं। इसके अलावा इन्हें चढ़ाने के पीछे और धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी है। आइए आपको आर्टिकल के जरिए बताते है कि शिवलिंग के अभिषेक के समय जल या दूध के साथ बेलपत्र, धतूरा और कभी भांग क्यों चढ़ाई जाती है।
    

 1.बेलपत्र


धार्मिक कारण 

यह तीन पत्तियों के समूह का समूह है, जो त्रिशूल के आकार का होता है।शिव पुराण में कहा गया है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

वैज्ञानिक कारण 

बेलपत्र में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं।

2. धतूरा 


धार्मिक कारण 

धतूरे को भगवान शिव का प्रिय माना गया है। समुद्र मंथन के भगवान शिव ने विष पी लिया था। इसी विष के प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें धतूरा चढ़ाया गया था।
आज के दौर में  इसे चढ़ाने का अर्थ है भगवान शिव के सामने अपनी नकारात्मकता त्याग देना। इसे अर्पित करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।

वैज्ञानिक कारण 

धतूरा आयुर्वेद में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।इसका उपयोग दर्द निवारक और सूजन कम करने के लिए होता है। इसके अलावा यह तंत्रिका संबंधित रोगों को भी सहीं कर सकता है।

3. भांग 


धार्मिक कारण

मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर भांग का सेवन करते थे।इससे उन्हें ध्यान करने में मदद मिलती है।यही कारण है कि  भांग को भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है और उन्हें चढ़ाया जाता है।

वैज्ञानिक कारण 

भांग में औषधीय गुण होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करते हैं। इसका इस्तेमाल रोगों का उपचार करने वाली दवाईयां बनाने में किया जाता है।

कैसे अर्पित करें बेलपत्र, धतूरा और भांग?


  • शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • व्रत रखने का संकल्प लें । फिर शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और गंगा जल से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और आक का फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव के समक्ष दीप जलाएं और धूप अर्पित करें।
  • ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।पूरी रात भगवान शिव की भक्ति में जागरण करें।भजन-कीर्तन करें और शिव कथा सुनें।ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर व्रत खोलें।

........................................................................................................
कुलदेवी की पूजा, जो करता है दिन रात (Kuldevi Ki Puja Jo Karta Hai Din Raat)

कुलदेवी की पूजा,
जो करता है दिन रात,

सिद्ध-कुञ्जिका स्तोत्रम् (Siddha Kunjika Stotram)

सिद्ध-कुञ्जिका स्तोत्रम् श्रीरूद्रयामल के मन्त्र से सिद्ध है और इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती है। इस स्तोत्र को परम कल्याणकारी और चमत्कारी माना जाता है।

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो(Jis Desh Mein Jis Vesh Main Raho)

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो

कब दर्शन देंगे राम परम हितकारी (Kab Darshan Denge Ram Param Hitkari)

भीलनी परम तपश्विनी,
शबरी जाको नाम ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।