गोवर्धन पूजा 2024 तिथि: कब है गोवर्धन पूजा? जानें महत्व, शुरुआत और पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा कब है, जानें महत्व, शुरुआत और पौराणिक कथा 


दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यह पूजा-अर्चना प्रकृति के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए शुरू की थी। आइए भक्त वत्सल पर जानिए गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि, पूजा समय और शुभ योग…


वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा होती है। ऐसे में इस वर्ष कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को शाम 06 बजकर 16 मिनट से हो रहा है और इसका समापन अगले दिन 2 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को होगी।


गोवर्धन पूजा का मुहूर्त 


2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। यदि किसी कारणवश आप इस समय पूजा नहीं कर सकते हैं तो दोपहर में 03:23 मिनट से लेकर 05:35 मिनट के बीच भी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है।


गोवर्धन पूजा कब से शुरू हुई


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पूजा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने शुरू की है। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को एक बार प्रकृति और उसके द्वारा दिए अतुल्य और अमूल्य पदार्थों के बदले गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। लेकिन जब यह बात इंद्र को पता चली तो वे क्रोधित हो गए। क्योंकि इससे पहले ब्रज में इंद्र की पूजा होती रही थी। इंद्र ने क्रोध में ब्रज पर भारी बारिश करवाई। इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और सभी उसके नीचे सुरक्षित खड़े हो गए। इंद्र ने कई दिनों तक वर्षा करवाई लेकिन ब्रजवासियों का बाल बांका नहीं हुआ। थक हार कर इंद्र ने अहंकार त्याग भगवान से क्षमा मांगी। इसके बाद से हर साल ब्रजवासी गोवर्धन पूजा करने लगे जो आज तक की जा रही है। इसी के चलते देशभर में गोवर्धन पर्वत के प्रतीक स्वरूप गाय के गोबर से पर्वत की आकृति बनाकर पूजा करने की परंपरा है। इस दिन गौवंश की पूजा भी की जाती है। किसान अपने गाय-बैल को इस दिन सजा संवारकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।


गोवर्धन पूजा विधि


  • सबसे पहले गोवर्धन पूजा के दिन प्रात: काल गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाएं। 
  • इसे फूलों, रंग से सजाएं और गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
  • पूजन सामग्री में फल, जल, दीप-धूप, नैवेद्य में कढ़ी, अन्नकूट चावल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • इसके बाद गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
  • पूजा करने के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें। अंत में आरती उतारें। 

........................................................................................................
श्री गणपति स्तोत्रम् (Shri Ganpati Stotram)

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।

कभी भूलू ना.. मेरे राधा रमण (Kabhi Bhoolun Na Radha Raman Mere)

कभी भूलू ना कभी भूलू ना
कभी भूलू ना याद तुम्हारी

पार्वती जी की पूजा विधि

शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।

नमो नमो हे भोले शंकरा(Namo Namo Hey Bhole Shankara)

मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने