राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया(Raghav Ji Tumhe Aisa Kisne Banaya)

ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


पर नारी पर दृष्टि न ड़ाली,

ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,

तुम्हें वाल्मीकि तुलसी ने गाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


अवगुन देख के क्रोध न आता,

भक्तों को देख के प्रेम न समाता,

धन्य कोसलाजू जिसने तुम्हें जाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


अपने किये का अभिमान न तुमको,

निज जन का सनमान है तुमको,

तुम्हें रामभद्राचार्य अति भाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।

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मंत्र जाप का सही समय

हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आध्यात्मिक उन्नति का सशक्त माध्यम माना जाता है। मंत्र जाप से ना सिर्फ मानसिक शांति प्राप्त होती है। बल्कि, यह साधक को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भी परिपूर्ण कर देता है।

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक(Radhe Krishna Ki Jyoti Alokik)

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।

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