दया कर दान विद्या का(Daya Kar Daan Vidya Ka Hume Parmatma Dena)

दया कर दान विद्या का,

हमें परमात्मा देना,

दया करना हमारी आत्मा में,

शुद्धता देना ।


हमारे ध्यान में आओ,

प्रभु आँखों में बस जाओ,

अँधेरे दिल में आकर के,

प्रभु ज्योति जगा देना ।


बहा दो प्रेम की गंगा,

दिलों में प्रेम का सागर,

हमें आपस में मिल-जुल के,

प्रभु रहना सीखा देना ।


हमारा धर्म हो सेवा,

हमारा कर्म हो सेवा,

सदा ईमान हो सेवा,

व सेवक जन बना देना ।


वतन के वास्ते जीना,

वतन के वास्ते मरना,

वतन पर जाँ फिदा करना,

प्रभु हमको सीखा देना ।


दया कर दान विद्या का,

हमें परमात्मा देना,

दया करना हमारी आत्मा में,

शुद्धता देना ।


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श्री शनि चालीसा (Shri Shani Chalisa)

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो(Gira Ja Raha Hu Utha Lo)

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

मेरा दिल अटका तेरी मूरत पे (Mera Dil Atka Teri Murat Pe)

मेरा दिल अटका तेरी मूरत पे,
मुझको तो किसी की खबर नही ॥

करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं - माँ संतोषी (Karti Hu Tumhara Vrat Main)

करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,
स्वीकार करो माँ,

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