कालाष्टमी की पौराणिक कथा

कालाष्टमी की प्रामाणिक और पौराणिक कथा, क्यों होती है भैरव की पूजा


सनातन हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व शक्ति, साहस, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना करने से जातक के जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं। साथ ही इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में उन्नती के रास्ते खुलते हैं।  और देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। तो आइए इस आर्टिकल में कालाष्टमी की पौराणिक कथा और काल भैरव की पूजा के वजह को विस्तार पूर्वक जानते हैं। 



कालाष्टमी की पौराणिक कथा 


कालाष्टमी की उत्पत्ति की कथा शिव पुराण से जुड़ी हुई है। धार्मिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने अपने पांचवें मुख से भगवान शिव का अपमान कर दिया था। उनके इस अहंकार को देखकर भगवान शिव को क्रोध आया और उन्होंने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया। काल भैरव ने अपने नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट दिया। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी का घमंड समाप्त हो गया और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा याचना की प्रार्थना की। हालांकि, ब्रह्म हत्या का पाप लगने के कारण काल भैरव को काशी की धरती पर जाना पड़ा। वहां पहुंचते ही उनका यह पाप समाप्त हो गया और उन्हें काशी का कोतवाल घोषित कर दिया गया। आज भी काशी में काल भैरव की नगर रक्षक के रूप में पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि काशी विश्वनाथ की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है। जब तक भक्तों द्वारा काल भैरव के दर्शन नहीं किए जाते।



कालाष्टमी का महत्व 


कालाष्टमी हिंदू धर्म में महादेव के रौद्र रूप भगवान काल भैरव की पूजा का पवित्र पर्व है। यह हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, संकट, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। साथ ही, इसे भगवान शंकर के सबसे शक्तिशाली और दंडाधिकारी रूप की उपासना का दिन माना जाता है। 



कालाष्टमी पूजा विधि 


  1. कालाष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  2. भगवान काल भैरव की पूजा के लिए शिवलिंग, तांत्रिक वस्तुएं, पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा विधि का पालन किया जाता है। 
  3. पूजा में बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, काले कपड़े, नारियल, चावल और नींबू का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। भक्त रात्रि के समय भगवान काल भैरव के मंदिर में दीपक जलाते हैं और उनकी आरती करते हैं। 
  4. इसके साथ ही, भैरव अष्टक, काल भैरव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।



कालाष्टमी व्रत के लाभ 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत करने से मनुष्य के जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की उपासना करने से भय और बुरी शक्तियों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से कालाष्टमी का व्रत करता है। उसके जीवन में सुख-शांति आती है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि कालाष्टमी पर नियम निष्ठा से की गई उपासना विशेष फलदायी होती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का निवास होता है।


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om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

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