मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा (Mere Ghar Aaya Raja Ram Ji Ka Pyara)

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥


आँगन बंगला भवन भयो पावन,

हरिजन बैठे हरिजस गावन,

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥


करूँ दंडवत चरण पखारूँ,

तन मन धन सब उन पर वारुं,

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥


कथा कहे अरु अर्थ विचारे,

आप तरे औरन को तारे,

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥


कहे रैदास मिले निज दासा,

जनम जनम के काटे पासा,

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥


आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,

मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा,

मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥

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फाल्गुन में देवताओं की पूजा

माघ पूर्णिमा के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है। इसके उपरांत हिन्दू नववर्ष आ जाएगा। फाल्गुन के महीने को फागुन का महीना भी कहा जाता है।

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को (Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko)

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम ॥

श्री नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्

नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।

आईं महादेवी अवतार, भवानी मोरे अंगना में (Aayi Mahadevi Avtar, Bhawani More Angna Main)

आयी महादेवी अवतार,
भवानी मोरे अंगना में ॥

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