उलझ मत दिल बहारो में (Ulajh Mat Dil Baharo Men)

उलझ मत दिल बहारो में,

बहारो का भरोसा क्या,

उलझ मत दिल बहारो में,

बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छूट जाते हैं,

सहरों का बरोसा क्या

तू संबल नाम का लेकर,

किनारों से किनारा कर

किनारे टूट जाते हैं,

किनारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में,

बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छूट जाते हैं,

सहरों का बरोसा क्या


पथिक तू अक्लमंदी पर,

बिचारो पर ना इतराना

कहाँ कब मन बिगड़ जाये,

बिचारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में,

बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छूट जाते हैं,

सहरों का बरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में,

बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छूट जाते हैं,

सहरों का बरोसा क्या

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तकदीर मुझे ले चल, मैय्या जी की बस्ती में

दरबार में हर रंग के दीवाने मिलेंगे,
( दरबार में हर रंग के दीवाने मिलेंगे,)

मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू क्यों खाते हैं

मकर संक्रांति, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।

जिसने मरना सीखा लिया है (Jisane Marana Seekh Liya Hai)

जिसने मरना सीखा लिया है,
जीने का अधिकार उसी को ।

रामराज्य! शांति के दूत है हम(Ramrajya - Shanti ke doot hai hum)

शांति के दूत है हम
शांति के हैं हम पूजारी

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