तुम्ही मेरी नइया, किनारा तुम्ही हो (Tumhi Meri Naiya Kinara Tumhi Ho)

तुम्ही मेरी नइया,

किनारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


ये नर तन का चोला,

बनाया है तुमने,

सभी अंग ढ़ंग से,

सजाया है तुमने,

तुम्ही मेरी नजरें प्रभुजी,

नजारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही सूर्य बनकर,

चमकते हो प्यारे,

तुम्ही बिजली बनकर,

कड़कते हो प्यारे,

तुम्ही चाँद तारे प्रभुजी,

सितारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही बनके बादल,

बरसते हो प्यारे,

तुम्ही फूल बनकर,

महकते हो प्यारे,

नदी सिंधु सागर की,

धारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


कृपा कोप करुणा,

सभी काम तेरे,

सभी रूप तेरे,

सभी नाम तेरे,

‘देवेंद्र राजेंद्र कैलाश’,

शरण आए तेरे,

यति भिक्षु सद्गुरु,

हमारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही मेरी नइया,

किनारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥

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बुधवार व्रत की प्रामाणिक-पौराणिक कथा (Budhvaar Vrat Ki Praamaanik-Pauraanik Katha)

समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था।

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री(Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
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लाल लाल चुनरी की अजब कहानी (Lal Lal Chunari Ki Ajab Kahani)

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