तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का (Tune Ajab Racha Bhagwan Khilona Mati Ka)

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का,

माटी का रे, माटी का,

माटी का रे, माटी का,

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।


कान दिए हरी भजन सुनन को,

हो कान दिए हरी भजन सुनन को,

तु मुख से कर गुणगान,

खिलौना माटी का ।

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।


जीभा दी हरी भजन करन को,

हो जीभा दी हरी भजन करन को,

दी आँखे कर पहचान,

खिलौना माटी का ।

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।


शीश दिया गुरु चरण झुकन को,

हो शीश दिया गुरु चरण झुकन को,

और हाथ दिए कर दान,

खिलौना माटी का ।

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।


सत्य नाम का बना का बेडा,

हो सत्य नाम का बना का बेडा,

और उतरे भव से पार,

खिलौना माटी का ।

तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।

........................................................................................................
जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल, जय यमुना श्रीनाथ जी (Jai Shri Vallabh Jai Shri Vithal, Jai Yamuna Shrinathji)

जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल,
जय यमुना श्रीनाथ जी ।

शिवजी को काल भैरव क्यों कहते हैं

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं।

क्यों मनाते हैं सकट चौथ

सकट चौथ व्रत करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के दुखों को हर लेते हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना बेहद आवश्यक माना गया है।

अपने रंग रंगलो गजानन (Apne Rang Ranglo Gajanan)

अपने रंग रंगलो गजानन,
दिल तुम्हारा हो गया,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।