लक्ष्मी जयंती की मुहूर्त और तिथि

Lakshmi Jayanti 2025: मार्च में कब मनाई जाएगी लक्ष्मी जयंती, जानिए तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त 


लक्ष्मी जयंती को मां लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि पर मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार लक्ष्मी जयंती फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, और इस वर्ष यह 14 मार्च को है।


लक्ष्मी जयंती कैसे मनाई जाती है?


लक्ष्मी जयंती पर देवी लक्ष्मी की पूजा सभी अनुष्ठानों और आध्यात्मिक तरीकों से की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी जयंती पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने से हमें उनका आशीर्वाद मिलता है, और हमें धन, सौभाग्य और समृद्धि से भरा एक वर्ष प्राप्त होता है।


माँ लक्ष्मी की जन्म कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान क्षीर सागर से हुआ था। इस समय देवी लक्ष्मी श्वेत वस्त्र और तेजस्वी सौंदर्य धारण कर क्षीर सागर से प्रकट हुईं, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक थीं। इसीलिए उन्हें क्षीर सागर की पुत्री भी कहा जाता है।


लक्ष्मी जयंती का महत्व


देवी लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की हिंदू देवी हैं। इसी कारण लक्ष्मी जयंती बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि इस समय पूजा करना बहुत शुभ होता है, जिससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। साथ ही यह आपको धन हानि से भी बचाती है और आपके घर और व्यवसाय में धन का आगमन होता है।


लक्ष्मी जयंती तिथि और पूजा विधि


शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का माना जाता है, और इस बार लक्ष्मी जयंती भी शुक्रवार को ही आ रही है। इस कारण यह पूजा करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक अच्छा संयोग है।

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
  • पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो रखें।
  • उन्हें सुहाग से जुड़ी हर चीज जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि अर्पित करें।
  • खीर बनाकर उसे प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
  • देवी लक्ष्मी को कमल बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें कमल भी अर्पित करें।
  • शाम के समय अपने घर के प्रवेश द्वार पर घी का दीया जलाएं।

ऐसा करने से आपको आशीर्वाद प्राप्त होगा, जो आपके घर में समृद्धि और धन लाएगा तथा आपको धन हानि से बचाएगा।


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हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

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