मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ (Main Do-Do Maa Ka Beta Hun)

मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ,

दोनों मैया बड़ी प्यारी है ।

एक माता मेरी जननी है,

एक जग की पालनहारी है ॥


मैं जननी को जब माँ कहता,

वो सिर पर हाथ फिराती है ।

त्रिशूल रुपणी दादी को,

वो जगमाता बतलाती है ।

मैं उसकी गोद में जाता हूँ,

वो तेरी शरण दिखलाती है ।

अब शरण में तेरी आया हूँ,

तू क्यों नहीं गले लगाती है ॥

॥ मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ...॥


मेरी जननी ओझल हुई,

पर तुम तो समाने हो मेरे ।

वो इसी भरोसे छोड़ गई,

कि तुम तो साथ में हो मेरे ।

अब दिल जो माँ को याद करे,

वो सीधे तेरे दर जाए ।

हे जग जननी तेरी छवि में ही,

मेरी मैया मुझे नजर आए ॥

॥ मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ...॥


जनंनी ने मुझको जन्म दिया,

तुम बन के यशोदा पाली हो ।

मेरी जनंनी की भी जननी तुम,

दादीजी झुंझुनुवाली हो ।

वो लोरी मुझे सुनाती है,

तुम सत्संग मुझे कराती हो ।

वो भोजन मुझे खिलाती है,

तुम छप्पन भोग जिमाती हो ॥

॥ मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ...॥


मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ,

दोनों मैया बड़ी प्यारी है ।

एक माता मेरी जननी है,

एक जग की पालनहारी है ॥

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अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे(Satguru Mere Kalam Hath Tere)

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करो कृपा कुछ ऐसी,
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विवाह पंचमी की कथा क्या है

सनातन धर्म में विवाह पंचमी का दिन सबसे पवित्र माना गया है। क्योंकि यह वही दिन है, जब माता सीता और प्रभु श्री राम शादी के बंधन में बंधे थे। पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी का त्योहार हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है।

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