मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

Masik Durgashtami 2025 : मासिक दुर्गाष्टमी के व्रत में इस विधि से करें पूजा, मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद


मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, यह दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का होता है। 2025 में पहली मासिक दुर्गाष्टमी 7 जनवरी को मनाई जाएगी। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत ही खास माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस दिन मां भगवती की पूजा और व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं कि दुर्गाष्टमी के दिन पूजा विधि क्या है और किन कार्यों से बचें।


मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि


  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर स्थापित करें।
  • माता दुर्गा को जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से अभिषेक करें।
  •  देवी मां को जल, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें। उसके बाद उन्हें सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। 
  • माता को सिंदूर, रोली, चंदन आदि से तिलक लगाएं।
  • माता के मंत्रों का जाप करें। ॐ दुर्गे देवि सर्वभूतेषु माँ शक्ति रूपेण संस्थिता। 
  • नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
  • माता दुर्गा की आरती करें।
  • दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • प्रसाद दूसरों को देकर अपना व्रत समाप्त करें और शाम के समय गेहूं और गुड़ से बनी खाद्य सामग्री से अपना व्रत खोलें।


व्रत के दौरान याद रखें ये नियम


  • ऐसा कहा जाता है कि मासिक दुर्गाष्टमी पूजा के दिन किसी भी समय घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
  • उपवास के दौरान, उपासक को पूरे दिन कुछ भी खाने या पीने से परहेज करना चाहिए। अगर आपने मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा है तो उस दौरान फलाहार कर सकते हैं। व्रत के दौरान ताजे फल या दूध का सेवन कर सकते हैं। व्रत समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों के बीच भोजन, कपड़े इत्यादि का दान करें। 
  • इस दिन साधक को सभी सुख-सुविधाओं का त्याग कर देना चाहिए तथा जमीन पर घास या चटाई से बने बिस्तर पर सोना चाहिए। 
  • पूरे दिन दुर्गा मंत्र का जाप करें।

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प्रदोष व्रत की कथा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

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