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सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन से प्रयागराज में कल्पवास शुरू किया जाता है, इस दिन व्रत, स्नान दान करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं। इस बार पौष पूर्णिमा के दिन से प्रयागराज में महाकुंभ का आरंभ भी हो रहा है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा इस साल 13 या 14 जनवरी 2025 कब है ?
पौष माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जनवरी 2025 को सुबह 5 बजकर 3 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 14 जनवरी 2025 को प्रात: काल 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में पूर्णिमा तिथि उदयकाल में 13 जनवरी को होने के कारण पूर्णिमा का व्रत 13 जनवरी सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन विधिवत रूप से व्रत पर रखा जाता है। व्रत रखने वाले चंद्रमा के दर्शन करके उनको अर्घ्य देते हैं, बता दें कि चंद्रोदय 13 जनवरी को शाम के 5:04 पर होगा। वहीं इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:27 मिनट से शुरू होकर 6:21 मिनट तक रहेगा।
पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा के साथ ही इस दिन स्नान-दान को भी विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन से ही कल्पवास की शुरुआत हो जाती है, जो कि अगले पूर्णिमा यानी माघ महीने तक चलता है। इस दिन पवित्र स्नान किया जाता है और भगवान सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है। भगवान सूर्य देव और चंद्रमा दोनों की पूजा-अर्चना पूर्णिमा के दिन की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी दोनों की पूजा करते हैं, उनको मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माँ देख तेरा श्रृंगार,
करे दिल नाचण का,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा,
नानक नाम जपत सुख पाँवा,
मोहे लागी रे लगन महाकाल की लगन,
तुम्हारे नाम से किस्मत मेरी सजा लू मैं,
सुन राधिका दुलारी में,
हूँ द्वार का भिखारी,
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