इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले( Itna to Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikle)

इतना तो करना स्वामी,

जब प्राण तन से निकले

गोविन्द नाम लेकर,

फिर प्राण तन से निकले ॥


श्री गंगा जी का तट हो,

यमुना का वंशीवट हो,

मेरा सांवरा निकट हो,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तों करना स्वामी जब प्राण ॥


पीताम्बरी कसी हो,

छवि मन में यह बसी हो,

होठों पे कुछ हसी हो,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तों करना स्वामी जब प्राण ॥


श्री वृन्दावन का स्थल हो,

मेरे मुख में तुलसी दल हो,

विष्णु चरण का जल हो,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तों करना स्वामी जब प्राण ॥


जब कंठ प्राण आवे,

कोई रोग ना सतावे,

यम दर्शना दिखावे,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तो करना स्वामि जब प्राण ॥


उस वक़्त जल्दी आना

नहीं श्याम भूल जाना

राधा को साथ लाना

जब प्राण तन से निकले

इतना तों करना स्वामि जब प्राण ॥


सुधि होवे नाही तन की,

तैयारी हो गमन की,

लकड़ी हो ब्रज के वन की,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तो करना स्वामि जब प्राण ॥


एक भक्त की है अर्जी,

खुदगर्ज की है गरजी,

आगे तुम्हारी मर्जी,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तो करना स्वामि जब प्राण ॥


ये नेक सी अरज है,

मानो तो क्या हरज है,

कुछ आप का फरज है,

जब प्राण तन से निकले,

इतना तो करना स्वामी जब प्राण ॥

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हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।

उगादि 2025 कब मनाई जाएगी

हिंदू पंचांग के अनुसार, उगादि पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इसलिए इसकी तिथि और मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है।

धनतेरस की पौराणिक कथा

धनतेरस का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे।

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