भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

Sankashti Chaturthi Puja Vidhi: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें बप्पा की पूजा, जानिए व्रत के लाभ और नियम


संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संकटों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 विशेष रूप से चैत्र मास में मनाई जाती है और इस दिन गणपति बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो भक्त इस व्रत को विधिपूर्वक करते हैं, उनके जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और उन्हें अपार सफलता प्राप्त होती है। इस लेख में हम जानेंगे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत से जुड़े नियम।



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 28 मार्च 2025, शाम 06:56 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 29 मार्च 2025, रात 08:20 बजे
  • चंद्रोदय समय: 28 मार्च 2025, प्रातः 09:18 बजे
  • शुभ मुहूर्त:
  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:53 से 05:41 बजे
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:18 बजे
  • गोधूलि मुहूर्त: सायं 06:28 से 06:52 बजे
  • अमृत काल: प्रातः 07:34 से 09:23 बजे



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की पूजा विधि


इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष विधि से की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद निम्नलिखित विधि से पूजा करें:

  1. घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।
  2. एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं।
  3. भगवान गणेश को लाल वस्त्र अर्पित करें और तिलक करें।
  4. लाल फूल, दूर्वा घास, चंदन और मोदक का भोग अर्पित करें।
  5. "ॐ भालचंद्राय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें और ध्यानपूर्वक सुनें।
  7. भगवान गणेश की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।
  8. चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करें।



पूजा सामग्री:


 पूजा के लिए इन सामग्रियों का उपयोग करें – गणेश मूर्ति, दीपक, चंदन, अक्षत (चावल), लाल पुष्प, दूर्वा घास, नारियल, तिल-गुड़ के लड्डू, मोदक, धूप, कर्पूर, गंगाजल, मौली, सुपारी, फल और पंचामृत।



 व्रत के लाभ और नियम


व्रत के लाभ:


  • भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी संकट समाप्त होते हैं।
  • घर में सुख-शांति बनी रहती है और समृद्धि बढ़ती है।
  • करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  • परिवार की खुशहाली बनी रहती है और सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं।


व्रत के नियम:


  • व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  • जरूरतमंद लोगों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनें और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करें और नियमों का पालन करें।

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