षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी पर भूलकर भी ना करें यह 5 काम, नहीं तो हो सकती है धन की हानि



षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है। षटतिला एकादशी के दिन कुछ उपायों को करने से आर्थिक दिक्कत दूर होती है, साथ ही जीवन की सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। हालांकि, षटतिला एकादशी पर कुछ अशुभ कामों से बचना जरूरी है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं इस दिन कौन से 5 कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए। 

षटतिला एकादशी पर ना करें ये कार्य


षटतिला एकादशी पर कुछ चीजों को करने से भगवान विष्णु कुपित हो सकते हैं और आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए, इस दिन कुछ कार्यों से परहेज करना जरूरी है। 

  1. इस दिन ना खाएं चावल:- षटतिला एकादशी पर चावल का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से मनुष्य को दोष लगता है। 
  2. भगवान को प्रिय है तुलसी:- तुलसी की पत्तियां भगवान श्री हरि विष्णु को बेहद प्रिय हैं। इनके बिना भगवान को भोग नहीं लगाया जाता है। इसलिए, षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी बेमतलब तुलसी के पौधे और पत्तियों को ना ही स्पर्श करें और ना ही इन्हें तोड़ें। तुलसी की पत्तियां तोड़ने से मां लक्ष्मी भी नाराज हो सकती हैं।
  3. काले वस्त्र का करें दान:- धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ अवसर या फिर पूजा-पाठ के दौरान काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसलिए षटतिला एकादशी के दिन भी काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। भगवान विष्णु की असीम कृपा पाने के लिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  4. मास-मदिरा ना करें सेवन:- षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से भगवान विष्णु कुपित हो सकते हैं। 
  5. किसी का भी अपमान करने से बचें:- ऐसा कोशिश करें कि इस दिन आपके कारण किसी का दिल ना दुखे। साथ ही किसी तरह के वाद-विवाद से भी बचें। इस दिन किसी का भी अपमान करने से बचें और किसी का मजाक भी ना उड़ाएं।

षटतिला एकादशी व्रत का महत्व 


उदयातिथि के आधार पर साल 2025 में 25 जनवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसे ही सृष्टि का पहला अन्न भी माना जाता है। इसलिए, षटतिला एकादशी के व्रत में तिल का प्रयोग जरूर किया जाता है। मान्यता है कि इससे जीवन में सुख, शांति और वैभव बरकरार रहता है। षटतिला एकादशी व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बना रहता है।

........................................................................................................
माँ की लाल रे चुनरिया, देखो लहर लहर लहराए(Maa Ki Laal Re Chunariya Dekho Lahar Lahar Lehraye)

माँ की लाल रे चुनरिया,
देखो लहर लहर लहराए,

मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले (Mere Balaji Sarkar Ke To Rang Nirale Hai)

मेरे बालाजी सरकार,
के तो रंग निराले,

जयति तेऽधिकं जन्मना (Jayati Te Dhikam Janmana)

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।

क्यों रखते हैं रवि प्रदोष व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। यह तिथि शुरुआत 9 फरवरी 2025, रविवार के दिन पड़ेगी और इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने