श्री कृष्ण छठी की पौराणिक कथा (Shri Krishna Chhathi Ki Pauranik Katha)

भाद्रपद मास की छठी के दिन पूजा करने से भगवान होते हैं प्रसन्न, जानिए क्या है कृष्ण छठी की पौराणिक कथा


हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है, ये त्योहार इस साल 26 अगस्त को मनाया जा चुका है। इस पर्व के 6 दिन बाद श्रीकृष्ण से जुड़ा एक और पर्व आता है जिसे सनातन संस्कृति में कृष्ण छठी या कृष्ण षष्ठी के नाम से जाना जाता है। इस दिन ठाकुर जी को एक स्वादिष्ट व्यंजन का भोग लगाया जाता है और उनकी विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। श्री कृष्ण छठी का पर्व अपने आप में बेहद खास और अनोखा है, ये दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ उनकी दोस्ती निभाने के तरीके को भी याद करने का दिन है। भक्तवत्सल के इस लेख में हम आपको बताएंगे भगवान श्री कृष्ण से जुड़े इस पर्व के बारे में विस्तार से, साथ ही जानेंगे उस व्यंजन और उसकी कथा को भी जिससे भगवान को अत्याधिक आनंद की प्राप्ति होती है।


क्यों मनाई जाती है श्रीकृष्ण छठी 


दरअसल हिंदू परंपराओं के अनुसार किसी बच्चे के जन्म के छठे दिन "छठी" का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दिन बच्चे को पहला स्नान करवाया जाता है और उसे नए और सुंदर वस्त्र पहनाकर छठी मईया की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि षष्ठी या छठी देवी की विशेष पूजा से बच्चे को सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है। श्री कृष्ण छठी का पर्व भी इसी मान्यता से जुड़ा हुआ है, इस साल श्रीकृष्ण छठी 1 सितंबर को मनाई जाएगी। खास बात ये है कि श्री कृष्ण छठी के साथ इस दिन भाद्रपद मास की शिवरात्रि भी पड़ रही है और आप श्री कृष्ण, छठी देवी और भगवान शिव की पूजा कर दोगुना लाभ कमा सकते हैं।


कहां से शुरु हुई छठी के दिन कढ़ी चावल खिलाने की मान्यता


हिन्दू धर्म के जानकारों के अनुसार, छठी के दिन श्रीकृष्ण को स्नान करवाकर पीतांबर वस्त्र पहनाए जाते हैं और फिर उन्हें भोग लगाया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण को 56 भोग के साथ कढ़ी चावल का भोग जरूर लगाना चाहिए। कढ़ी चावल का भोग लगाने के पीछे भागवत पुराण की एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि जब श्रीकृष्ण बचपन में गाय चराने के लिए जाते थे तब मां यशोदा उन्हें खाने की पोटली बांधकर देती थी, जिसमें एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजन होते थे। श्रीकृष्ण के साथ उनके सखा भी अपने साथ बहुत से स्वादिष्ट पकवान लेकर आते थे और वे सभी जंगल में सारे व्यंजनों को मिल बांट कर खाते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि जहां एक तरफ सब लोग साथ खाना खा रहे हैं वहीं उनका एक सखा छिपकर अकेले खाना खा रहा है। जब श्री कृष्ण ने इस बात का पता लगाया तो उन्हें ये पता चला कि उनका वह दोस्त गरीब होने की वजह से रोज खिचड़ी या कढ़ी चावल लेकर आता है और सबके अच्छे खाने को देखकर चुपचाप दूर जाकर अलग खाना खाया करता है। श्रीकृष्ण को इस बात का अच्छा नहीं लगा और उन्होंने अगले दिन से गरीब दोस्त के पोटली में से खिचड़ी और कढ़ी चावल खाना शुरु कर दिया। धीरे धीरे भगवान श्रीकृष्ण को कढ़ी चावल बहुत पसंद आने लगे और वह उनका प्रिय भोजन बन गया। इसी वजह से छठी के दिन श्रीकृष्ण को कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है। हालाँकि भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कि कढ़ी में प्याज और लहसुन नहीं मिलाई गई हो। 


छठी के दिन ऐसे करे कृष्ण की पूजा 


  • सबसे पहले श्रीकृष्ण छठी पूजन के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। 
  • इसके  बाद पूजन कक्ष में जाकर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और प्रभू को विराजमान करें। 
  • इसके बाद श्रीकृष्ण का पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाकर सुंदर तरह से तैयार करें। 
  • इसके पश्चात लड्डू गोपाल का रोली या पीले चंदन से तिलक करें और फिर उन्हें फूल माला अर्पित कर दीपक जलाकर आरती करें। 
  • इसके पश्चात गोपाल जी को माखन मिश्री के साथ कढ़ी चावल का भोग अर्पित करें। 


इस मंत्र का करें जाप 


भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें:


नमो देव्यै महादेव्यै सिद्धयै शांत्यै नमो नमः । 
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 1 ॥
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः । 
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ 2 ॥


कृष्ण छठी का महत्व : 


कृष्ण छठी भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन भक्तों द्वारा व्रत, पूजा, उपवास और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। यह दिन भगवान कृष्ण की उपासना का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जिससे भक्त उनके गुणों और उनके संदेश को समझ सकते हैं। इस दिन विभिन्न जगहों पर श्रीकृष्ण के लिए विशेष नृत्य, गान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हिन्दू धर्म के जानकार बताते है कि श्रीकृष्ण छठी में ठाकुरजी की पूजा करने और उन्हें भोग लगाने से भगवान आपकी झोली खुशियों से भर देते हैं और आपको स्वस्थ रहने का वरदान देते हैं।


........................................................................................................
हम तुम्हारे तुम हमारे, बन गए हो सांवरे (Hum Tumhare Tum Hamare Ban Gaye Ho Sanware)

हम तुम्हारे तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे,

बालाजी के चरणों में ये काम कर दिया (Balaji Ke Charno Mein Ye Kaam Kar Diya)

बालाजी के चरणों में ये काम कर दिया,
एक दिल था वो भी इनके नाम कर दिया ॥

ज्येष्ठ गौरी आह्वान 2024: गणेश जी के आगमन के तीन दिन बाद इस रूप में धरती पर अवतरित होती हैं मां पार्वती

देश भर में गणपति बप्पा का आगमन हो चुका है और हर तरफ गणेशोत्सव की धूम मची हुई है।

झंडा बजरंग बली का (Jhanda Bajrangbali Ka)

लहर लहर लहराए रे,
झंडा बजरंग बली का,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।