भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


सारे जग का तू विधाता,

कहते है लोग सारे,

देवों में महादेवा,

सब वश में है तुम्हारे

तू तो बाबा अंतर्यामी,

मेरी पीड़ा क्यों नहीं जानी,

भेद है क्या बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


तू कर्ता तू धर्ता,

तू ही संहार करता,

सुनता हूँ मैं दर पे,

सबका ही काम बनता,

ओ कैलाशी ओ अविनाशी,

मेरी अखियाँ फिर क्यों प्यासी,

प्यास तू इनकी बुझा दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


श्रष्टि के कण कण में,

बस तेरा ओमकारा,

सबको तू प्यार करता,

क्या मैं नहीं हूँ प्यारा,

हाथ जोड़कर तुम्हे मनाऊं,

कैसे भोले तुमको पाऊं,

‘श्याम’ को ये बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥

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Tune Mujhe Bulaya Sherawaliye (तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये)

साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार ।

साँवरे सा कौन(Sanware Sa Kaun)

साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,

पापमोचनी एकादशी पर तुलसी पूजन कैसे करें

पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह उपवास सभी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिये रखा जाता है।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (Jyeshth Maas Ki Shukla Paksh Ki Nirjala Ekaadashi)

एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।

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