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स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव के बड़े पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। भगवान स्कंद, शिव और पार्वती के पुत्र माने जाते हैं और उन्हें "देवताओं के सेनापति" के रूप में पूजा जाता है क्योंकि उन्होंने दैत्यों से देवताओं की रक्षा की थी। इस दिन विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय को भोग अर्पित करने का महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कि स्कंद षष्ठी पर भगवान को किन चीजों का भोग लगाना शुभ होता है…
1. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को चढ़ाएं शहद
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को शहद चढ़ाने से धन-संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। यह मान्यता है कि शहद चढ़ाने से प्रेम जीवन भी मधुर बना रहता है। शहद को तांबे के पात्र में चढ़ाने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
2. भगवान कार्तिकेय को लगाएं श्रीखंड का भोग
भगवान कार्तिकेय को श्रीखंड अत्यंत प्रिय है। इसे शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रीखंड का भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. केसर लड्डू का भोग लगाएं
केसर शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। इसे भगवान को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शक्ति, विजय और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए स्कंद षष्ठी के दिन केसर लड्डू का भोग अर्पित करना शुभ फलदायी माना जाता है।
4. पंचमेवा का भोग लगाएं
पंचमेवा में मखाना, काजू, किशमिश, बादाम और खजूर शामिल होते हैं। मान्यता है कि पंचमेवा का भोग लगाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके
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बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
अब उठो जगो हे आर्यवीर! उत्ताल प्रचंड समरसिन्धु समीप,
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श्रीसोमेश्वर स्वामी मंदिर(सोमनाथ मंदिर), गुजरात (Shri Someshwara Swamy Temple (Somnath Temple), Gujarat)
ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश (Omkareshwar Mahadev Temple, Omkareshwar, Madhya Pradesh)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर - नेल्लोर, आंध्र प्रदेश (Sri Ranganadha swamI Temple - Nellore, Andhra Pradesh)
यागंती उमा महेश्वर मंदिर- आंध्र प्रदेश, कुरनूल (Yaganti Uma Maheshwara Temple- Andhra Pradesh, Kurnool)
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Shri Sthaneshwar Mahadev Temple, Thanesar, Kurukshetra (स्थानेश्वर महादेव मंदिर, थानेसर, कुरुक्षेत्र)
अरुल्मिगु धनदायूंथापनी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु (Arulmigu Dhandayunthapani Temple, Palani, Tamil Nadu)
गोमटेश्वर बाहुबली मंदिर, श्रवणबेलगोला, कर्नाटक (Gommateshwara Bahubali Temple, Shravanabelagola, Karnataka)
श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर इस्कॉन चौपाटी मुंबई (Sri Sri Radha Gopinath Temple, ISKCON Chowpatty, Mumbai)
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