स्कंद षष्ठी व्रत कैसे करें

स्कंद षष्ठी पर कैसे रखें व्रत, किन नियमों का पालन करने से होगा लाभ 


हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत किया जाता है। माघ माह की स्कंद षष्ठी 3 फरवरी 2025 को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
पूजन, व्रत और दान इस दिन विशेष महत्व रखते हैं। व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इसे सही विधि से करना आवश्यक है। आइए जानते हैं इसकी पूजन विधि…

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि:


  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर की सफाई करें और पूजा स्थल को फूलों और दीपक से सजाएँ।
  • भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर को स्वच्छ स्थान पर रखें।
  • पूजन सामग्री तैयार करें: जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीपक आदि।
  • भगवान कार्तिकेय को पंचामृत से स्नान कराएँ।
  • कमल का फूल अर्पित करें (यह शुभ माना जाता है)।
  • भगवान कार्तिकेय की आरती करें और स्कंद षष्ठी व्रत कथा पढ़ें।
  • दिनभर व्रत रखें और केवल सात्विक भोजन करें।

स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियाँ:


  • फलाहार के अलावा कुछ और ग्रहण न करें।
  • तामसिक भोजन (मांस, लहसुन-प्याज) न करें।
  • व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।

........................................................................................................
रात भादो की थी, छाई काली घटा(Raat Bhado Ki Thi Chhai Kali Ghata)

रात भादो की थी,
छाई काली घटा,

धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

महाकाल नाम जपिये, झूठा झमेला (Mahakal Naam Japiye Jutha Jhamela)

महाकाल नाम जपिये,
झूठा झमेला झूठा झमेला,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।