वैकुंठ द्वारम, तिरूमाला मंदिर

वैकुंठ एकादशी के दिन करें तिरुमला वैकुंठ द्वार मंदिर के दर्शन, यहां विष्णु पूजा अत्यंत फलदायी है 


वैकुंठ एकादशी 10 से 19 जनवरी 2025 तक मनाई जाएगी। वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के रहने का स्थान यानी वैकुंठ के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्त होती है। साथ ही इस दिन व्रत करने वाले सीधे स्वर्ग में जाते हैं। 


वैकुंठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं केरल में इसे स्वर्ग वथिल एकादशी कहते हैं। तिरुमाला मंदिर का वैकुंठ द्वारम 10 जनवरी से 19 जनवरी तक भक्तों के लिए खुला रहेगा। यहां वैकुंठ एकादशी के दौरान भक्तों की भीड़ बहुत ज्यादा भीड़ बढ़ जाती है। यह त्योहार हर साल आता है और वैकुंठ द्वारम के खुलने के साथ मनाया जाता है।   भक्तों का ऐसा मानना है कि यहां उन्हें मोक्ष और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का कुछ विशेष अवसर मिलता है। 


मंदिर की विशेषता 


हर साल यहां वैकुंठ एकादशी उत्सव का आयोजन किया जाता है। यह महोत्सव वर्ष 2025 में 10 से 19 जनवरी तक दुनिया भर से आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए आयोजित किया जाएगा। तिरुमाला में हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यहां आप कभी भी चले जाएं, हमेशा आपको भीड़ ही देखने को मिलेगी। बता दें कि तिरुपति में थिम्मप्पा मंदिर के गर्भगृह के आसपास के आंतरिक मार्ग को वैकुंठ द्वार के रूप में जाना जाता है। इसलिए हर साल यहां एकादशी उत्सव का आयोजन में शामिल होना शुभ माना जाता है।


कैसे पहुंचे 


रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 22 किमी है। यहां पहुंचने में आपको लगभग 45 घंटे का समय लग सकता है। यहां आपको होटल 1000 रुपये के अंदर मिल जाएंगे। कम बजट में होटल लेने के लिए आपको मंदिर से कुछ दूरी पर बुकिंग करनी होगी। क्योंकि मंदिर के पास स्थित होटल लगभग सभी महंगे हैं। 19.0 किमी की ड्राइव करके आप तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंच सकते हैं।

समय  :  सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक


........................................................................................................
जय भोले शंकर जय गंगाधारी (Jai Bhole Shankar Jai Gangadhari)

जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,

कुंभ संक्रांति 2025 कब है

सनातन धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने की परंपरा है। क्योंकि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान-पुण्य करने से सूर्य देव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।

मासिक कार्तिगाई पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं।

जयकारा, मेरे केदारेश्वराय जय कारा (JaiKara Mere Kedareshwaray Jai Kara)

संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्,
सदावसन्तं हृदयारविन्दे,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।