जानें कब है विनायक चतुर्थी

अप्रैल महीने में इस दिन पड़ेगी विनायक चतुर्थी, जानें सही तिथि और पूजा की विधि 

विनायक चतुर्थी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन विधिवत रूप से पूजा करने से जीवन से विघ्न-बाधाएं दूर होते हैं। साथ ही, सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।

विनायक चतुर्थी मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष विनायक चतुर्थी 1 अप्रैल को सुबह 5:42 बजे से शुरू होकर 2 अप्रैल को दोपहर 2:32 बजे तक रहेगी। इस साल विनायक चतुर्थी पर खास संयोग बन रहा है, जिससे पूजा अधिक प्रभावशाली होगी।

चंद्रमा को अर्पित करें दूध और जल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने से आपके जीवन के सभी विघ्न-बाधाएं भगवान श्री गणेश हर लेते हैं। इसलिए इस दिन पूजा करने की सही विधि जानना जरूरी है। 

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहने फिर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान श्री गणेश की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें और उन्हें पीले वस्त्र पहना कर कुसुम की माला पहनाएं। 
  • भगवान गणेश को रोली चंदन से तिलक करें और पीले तथा लाल फूल के साथ दूर्वा घास और पीला अक्षत अर्पित करें। 
  • भोग में मोदक, लड्डू और पंचामृत जरूर चढ़ाएं। भगवान श्री गणेश का यह भोग अत्यंत प्रिय भोग है, इसलिए इसे प्रभु श्री गणेश को अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। 
  • इस दिन "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है। 
  • अंतिम में भगवान गणेश की आरती कर प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों को बांट दे। 
  • व्रत के दिन चंद्रमा दर्शन होने से पहले तक उपवास या फलाहार करें और फिर चंद्रमा को दूध या जल अर्पित करके शाकाहारी भोजन ग्रहण करें। 

विनायक चतुर्थी को बन रहे खास संयोग 

धार्मिक कथाओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में कभी भी किसी बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेगा। साथ ही, रवि योग का प्रभाव भी रहेगा, जो सभी शुभ कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।


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एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।

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